इंसानों द्वारा खोजा गया स्पेस का सबसे बड़ा रहस्य black hole हे | ब्लेक होल अंतरिक्ष में मोजूद एक बड़े डरावने राक्षश की तरह हे जिसकी भूख कभी मिटती नहीं और वो अपने रस्ते में आती हर चीज को आपने अंदर निगल लेता हे|
क्या कभी ब्लेक होल पूरी पृथ्वी या ब्रह्माण्ड को भी निगल सकता है ? उसके बारे में भी इस अर्तिक्ल में जानेंगे लेकिन पहले ब्लेक होल के बारे में थोड़ी इनफार्मेशन जान लेते है और जानते हे की what is the black hole ? ब्लेक होल क्या हे ?
what is the black hole ?| ब्लेक होल क्या हे ?
आसान शब्दों में कहे what is the black hole ? तो उसका उतर होगा की ब्लेक होल अन्तिक्ष की एक एसी जगह हे जहा पर गुरुत्वाकर्षण बोहोत ही ज्यादा हे|
इतना ज्यादा की ब्लेक होल के आसपास से कोई भी चीज वापस नहीं आ सकती| ब्लेक होल पूरी तरह से ब्लेक होते हे | इतने की उनसे लाईट भी रिफ्लेक्ट होकर वापस नहीं आ सकती|
ब्लेक होल के अंदर समय और ब्रह्माण्ड के सारे नियम टूट जाते हे |ब्लेक होल कई प्रकार के होते हे | महान वैज्ञानिक Albert Einstein एसा मानते थे की ब्लेक होल सिर्फ थियरी में ही संभव हे |
what is the black hole ? ब्लेक होल केसे बनते हे ?
जब भी किसी तारे की जिन्दगी ख़तम हो जाती हे तब वो तारा अपने अंदर ही सिकुड़ने लगता है और अपने सेण्टर के ऊपर ही कोलेप्स हो जाता हे | जिससे की ब्लाक होल का निर्माण होता हे |
लेकिन यहाँ पर हर तारा ब्लेक होल में नहीं बदलेगा| जिस तारे का मास (द्रव्यमान) एक लिमिट से ज्यादा होगा तो ही वो ब्लेक होल में परिवर्तित होगा |
ये लिमिट सेट की थी एक भारतीय वैज्ञानिक चंद्रशेखर ने , उन्ही के नाम पर इस लिमिट को चंद्रशेखर लिमिट कहा जाता हे| जिस भी तारे का मास (द्रव्यमान) इस चंद्रशेखर लिमिट से ज्यादा होगा वो ही ब्लेक होल में परिवर्तित होगा |
HOW TO IDENTIFY BLACK HOLE ?| ब्लेक होल को केसे पहचाने ?
जेसा की हमने what is the black hole ? वाले सेक्शन में जाना की ब्लेक होल से लाईट भी रिफ्लेक्ट होकर वापस नहीं आ सकती तो सीधी सी बात हे की उसे देखा भी नहीं जा सकता | तो वैज्ञानिक ब्लेक होल को केसे ढूंढते हे ?
क्युकी की ब्लेक होल का गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा होता हे इसीलिए अन्तरिक्ष में घूम रहे द्रव्य को वह आकर्षित कर लेता हे और वो द्रव्य उसके आसपास घुमने लगते हे जिसके जरिए एक ब्लेक होल को पहचाना जाता हे | इस ब्लेक होल के आसपास के एक डिस्क जेसे शेप को एक्रेशन डिस्क कहा जाता हे |
Albert Einstein on Black hole
Albert Einstein की थिओरी ऑफ़ रिलेटिविटी से हमें ये पता चला था की गुरुत्वकर्ष्ण से समय को भी असर पहोंचती हे और ब्लेक होल में तो गुरुत्वकर्ष्ण बल अनंत तक पहोंच जाता हे |
इसीलिए उनकी इस थिओरी से ब्लेक होल और भी ज्यादा रहस्य मई हो गए थे | जेसा की हमने what is the black hole ? वाले सेक्शन में जाना की Albert Einstein का एसा मन्ना था की ब्लेक होल का कोंसेप्ट सिर्फ और सिर्फ थिओरी में ही पोसिबल हे रियल लाइफ में नहीं |
TIME DAILATION EFFECT
जेसा की हमने what is the black hole ? वाले सेक्शन में देखा था की ब्लेक होल में समय और ब्रह्माण्ड के सारे नियम टूट जाते हे |
ब्लेक होल के पास गुरुत्वकर्ष्ण ज्यादा होने की वजह से उसके आसपास समय भी धीमा हो जाता हे | हो सकता हे की अगर आप ब्लेक होल के पासमे एक घंटा बिताकर आए तो वो पृथ्वी के 10 घंटो के बराबर हो सकते हे |
इसे TIME DAILATION EFFECT कहते है |
TYPES OF BLACK HOLE
जेसा की हमने what is the black hole ? वाले सेक्शन में जाना की ब्लेक होल अलग अलग प्रकार के होते हे तो आइए अब उन्ही प्रकार के बारे में जानते हे |
Primordial Black Holes: ये सैद्धांतिक ब्लैक होल हैं जो बिग बैंग के तुरंत बाद बने होंगे। इनकी उत्पत्ति प्रारंभिक ब्रह्मांड के घनत्व में उतार-चढ़ाव से हुई होगी। उनके अस्तित्व की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन कुछ सिद्धांतों के अनुसार वे एक संभावना हैं।
Stellar Black Holes: ये तब बनते हैं जब विशाल तारे अपने जीवन चक्र के अंत में अपने ही गुरुत्वाकर्षण के कारण ढह जाते हैं।
जब किसी तारे का परमाणु ईंधन समाप्त हो जाता है, तो वह गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध स्वयं को संभाल नहीं पाता है और ढह जाता है। यदि तारे का कोर काफी विशाल है (आमतौर पर हमारे सूर्य के द्रव्यमान का लगभग तीन गुना), तो यह एक ब्लैक होल में ढह जाएगा।
तारकीय ब्लैक होल अन्य प्रकारों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटे होते हैं, जिनका द्रव्यमान आमतौर पर सूर्य के द्रव्यमान से कुछ गुना से लेकर सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 100 गुना तक होता है।
Intermediate-Mass Black Holes: ये ब्लैक होल Stellar Black Holes की तुलना में अधिक विशाल होते हैं लेकिन सुपरमैसिव ब्लैक होल की तुलना में कम विशाल होते हैं। ऐसी परिकल्पना की गई है कि वे छोटे ब्लैक होल के विलय या बड़े सितारों के सीधे पतन के माध्यम से बनते हैं। उनके अस्तित्व का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है, और केवल कुछ उम्मीदवारों की पहचान की गई है।
Supermassive Black Holes: ये सबसे बड़े प्रकार के ब्लैक होल होते हैं, जिनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से लाखों से लेकर अरबों गुना तक होता है।
वे हमारी अपनी आकाशगंगा सहित अधिकांश आकाशगंगाओं के केंद्र में रहते हैं। उनके गठन के सटीक तंत्र की अभी भी जांच चल रही है, लेकिन वे संभवतः ब्रह्मांडीय समय के दौरान पदार्थ के अभिवृद्धि और छोटे ब्लैक होल के विलय के माध्यम से बने हैं।
Micro Black Holes: ये कुछ सिद्धांतों द्वारा अनुमानित काल्पनिक ब्लैक होल हैं|
जैसे अतिरिक्त आयामों के कुछ मॉडल या कण भौतिकी के मानक मॉडल के कुछ विस्तार। तारकीय ब्लैक होल के विपरीत, सूक्ष्म ब्लैक होल में उपपरमाण्विक कणों के समान द्रव्यमान होगा। वे प्रारंभिक ब्रह्मांड में या उच्च-ऊर्जा टकरावों में बन सकते थे, जैसे कि कण त्वरक में होने वाले।
सबसे पहेला ब्लैक होल
सबसे पहेला ब्लेक होल १९७१ ( 1971 ) में कुछ वैज्ञानिको ने इन्दिपेंडेन्टली खोजा था | जिसका नाम Cygnus X-1 ब्लेक होल रखा गया था |
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पृथ्वी के सबसे नजदीकी ब्लेक होल
पुरे ब्रह्माण्ड में कई सारे ब्लेक होल मोजूद हे लेकिन पृथ्वी के सबसे नजदीकी ब्लेक होल Gaia BH3 हे जो की पृथ्वी से २००० प्रकाश वर्ष की दुरी पर हे |
सबसे बड़ा ब्लैक होल
वैज्ञानिको ने अबतक खोजे ब्लेक होल्स में सबसे बड़ा ब्लैक होल TON 618 हे |
क्या ब्लेक होल पुरे ब्रह्माण्ड को निगल जाएँगे ?
आपको ब्लेक होल के बारे में इतनी इनफार्मेशन जान के ये तो पता चल ही गया होगा की ब्लेक होल अपने रस्ते में आ रही हर चीज को निगल जाते हे तो क्या ये ब्रह्माण्ड के हर एक कण को निगल जाएँगे |
वेल इसका जवाब हे नहीं | क्योकि ब्लैक के निगल ने के लिए ये ब्रह्माण्ड बोहोत ही बड़ा हे और जहा तक बात रही पृथ्वी की तो पृथ्वी से भी नजदीकी ब्लैक होल बोहोत ही दूर हे इसीलिए हमें चिंता करने की जरूरत नहीं |
क्या ब्लैक होल कभी ख़त्म हो सकते हे ?
हा , ब्लेक होल हर वक्त अपने सेंटर से रेडियेशन लिक करते रहते हे | इस रेडियेशन की खोज वैज्ञानिक स्टीफन होकिंग्स ने की थी इसीलिए इस रेडियेशन को होकिंग्स रेडियेशन कहा जाता हे | जब ब्लेक होल के अन्दर का सारा रेडियेशन समाप्त हो जाता हे तब वो एक धमाके के साथ ख़तम हो जाता हे | लेकिन एसा होने में लाखो साल लगते हे |