भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनसुनी कहानियाँ | happy independence day 2024

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनसुनी कहानियाँ

भारत की स्वतंत्रता का संग्राम विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह एक लंबी और कठिन यात्रा थी, जिसमें लाखों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, और भगत सिंह जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ सबको ज्ञात हैं। लेकिन इस संघर्ष में कई ऐसे अनाम नायक भी थे, जिनकी कहानियाँ अक्सर इतिहास के पन्नों में खो जाती हैं। आज हम आपको भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कुछ अनसुनी कहानियों से रूबरू कराते हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनसुनी कहानियाँ

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनसुनी कहानियाँ

 

1. कनकलता बरुआ: असम की वीरांगना

असम के ढेकियाजुली नामक स्थान की कनकलता बरुआ मात्र 17 वर्ष की उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ीं। 20 सितम्बर, 1942 को कनकलता ने असम में अंग्रेजों के खिलाफ तिरंगा फहराने के लिए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में हिस्सा लिया। जब वह तिरंगा लेकर आगे बढ़ी, तो अंग्रेजों ने उन पर गोली चला दी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन उनकी वीरता और साहस को आज भी याद किया जाता है।

2. बीरसा मुंडा: आदिवासी विद्रोह के नायक

बीरसा मुंडा का नाम इतिहास में ‘मुंडा विद्रोह’ के नायक के रूप में दर्ज है। 19वीं शताब्दी के अंत में, अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियों के खिलाफ बीरसा मुंडा ने झारखंड के आदिवासियों को संगठित किया। उन्होंने ‘उलगुलान’ यानी महाविद्रोह का नेतृत्व किया, जिसने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया। बीरसा मुंडा की मृत्यु मात्र 25 वर्ष की उम्र में हुई, लेकिन उनकी क्रांतिकारी सोच ने आदिवासियों के हक और अधिकारों के लिए आंदोलन को नई दिशा दी।

3. अरुणा आसफ़ अली: भारत छोड़ो आंदोलन की ध्वजवाहक

अरुणा आसफ़ अली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख महिला नेता थीं। उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उस समय उनका यह साहसिक कदम अंग्रेजी हुकूमत को सीधी चुनौती थी। इसके बाद अरुणा जी अंडरग्राउंड हो गईं, और उन्होंने कई वर्ष तक गुप्त रूप से आंदोलन का संचालन किया। स्वतंत्रता के बाद, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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4. मैंगल पांडे: भारतीय विद्रोह के अग्रदूत

1857 के भारतीय विद्रोह का नाम सुनते ही मैंगल पांडे का नाम ज़हन में आता है। उन्होंने अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की अत्याचारपूर्ण नीतियों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका। 29 मार्च, 1857 को मैंगल पांडे ने बैरकपुर छावनी में अपने साथियों को एकत्र किया और अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाए। उनका यह विद्रोह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का आरंभिक संकेत था, जिसे बाद में ‘पहला स्वतंत्रता संग्राम’ कहा गया।

5. तारा रानी श्रीवास्तव: पति के साथ बलिदान की गाथा

तारा रानी श्रीवास्तव और उनके पति ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पटना में एक आंदोलन का नेतृत्व किया। दोनों ने अंग्रेजों के खिलाफ तिरंगा फहराने की योजना बनाई। जब उनका पति अंग्रेजों की गोली का शिकार हो गया, तो तारा रानी ने बिना हिम्मत हारे तिरंगा फहराया और देश के लिए अपना बलिदान दिया। उनकी इस वीरता को आज भी सम्मान के साथ याद किया जाता है।

6. खुदीराम बोस: सबसे युवा शहीद

खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे युवा क्रांतिकारियों में से एक थे। 1908 में मात्र 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंग्रेज अधिकारी किंग्सफोर्ड की हत्या की योजना बनाई। हालाँकि, बम हमले में किंग्सफोर्ड बच गया, लेकिन खुदीराम पकड़े गए और उन्हें फाँसी की सजा दी गई। उनकी शहादत ने भारत के युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

7. वीर सावरकर: अंडमान की काला पानी की सजा

वीर सावरकर का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय है। उन्होंने 1909 में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का आवाहन किया और भारतीय स्वतंत्रता के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का प्रयास किया। उन्हें 1911 में अंडमान के सेलुलर जेल में ‘काला पानी’ की सजा दी गई। वहाँ की कठिन यातनाओं के बावजूद, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रखा। सावरकर की दृढ़ता और साहस ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख चेहरा बनाया।

8. राजकुमारी गाइडिन्ल्यू: नागा जनजाति की स्वतंत्रता सेनानी

राजकुमारी गाइडिन्ल्यू का नाम नगा जनजातियों के बीच बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने मणिपुर और नागालैंड में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक बड़े विद्रोह का नेतृत्व किया। मात्र 16 वर्ष की उम्र में उन्हें गिरफ्तार किया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, उन्हें रिहा किया गया और भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया।

9. सरोजिनी नायडू: नाइटिंगेल ऑफ इंडिया

सरोजिनी नायडू, जिन्हें ‘भारत कोकिला’ भी कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख नेता थीं। उनकी कविताएँ और भाषण स्वतंत्रता के संदेश से भरपूर थे। उन्होंने गांधीजी के साथ नमक सत्याग्रह में हिस्सा लिया और महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। स्वतंत्रता के बाद, वह उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं।

10. भिकाजी कामा: पहली बार विदेश में तिरंगा फहराने वाली

भिकाजी कामा का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने पहली बार 1907 में जर्मनी के स्टटगार्ट में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराया। वह एक प्रमुख क्रांतिकारी नेता थीं, जिन्होंने विदेश में रहकर भी भारतीय स्वतंत्रता के लिए काम किया। उन्हें भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की डिजाइनर भी माना जाता है।

उमीद हे  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनसुनी कहानियाँ जानकार आपको आपने इतिहास के बारे मे कुछ पता चल होगा | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम केवल कुछ प्रमुख नेताओं तक सीमित नहीं था। इसमें लाखों अनाम और गुमनाम नायकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। उनके बलिदान, साहस और समर्पण की कहानियाँ आज भी हमें प्रेरणा देती हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम इन वीरों को याद रखें और उनकी गाथाओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ये कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि स्वतंत्रता किसी एक व्यक्ति की देन नहीं होती, बल्कि यह उन सभी का सामूहिक प्रयास है जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

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